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वन प्रजातियां लगाने का खर्चा अतिक्रमणकारियों से वसूले यह कहा हाई कोर्ट ने अपने आदेश में वन विभाग को हिमाचल प्रदेश ( पी सी शर्मा)प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी वन भूमि पर बगीचे विकसित करने से जुड़े मामले में अतिक्रमण हटाने के आदेश पारित किए हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने वन विभाग को निर्देश दिए कि वह वन भूमि से सेब के पेड़ों/बगीचों को हटाएं, जिस पर पहले अतिक्रमण किया गया, जहां से अतिक्रमणकारियों को कोर्ट द्वारा आदेश पारित कर हटाया गया है। इसके अलावा जहां भी संभव हो सेब के पेड़ों को गिराने/स्टंप हटाने के बाद, ऐसे क्षेत्रों में वन विभाग के माध्यम से पौधारोपण/वनीकरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों या अन्य निजी व्यक्तियों की मदद से वन पौधों की विभिन्न स्थानीय प्रजातियां लगाई जाएं।कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में युद्ध स्तर पर आवश्यक कार्य किए जाएं। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को इन आदेशों के कार्यान्वयन के लिए संबंधित वन अधिकारियों/कर्मचारियों को पुलिस सहायता सहित सभी अपेक्षित सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि चालू मानसून में वन प्रजातियां लगाने के लिए अनुकूल समय है। अतिक्रमण हटाने की लागत, यानी कटाई, स्टंप हटाना और वन प्रजातियां लगाने का खर्चा, अतिक्रमणकारियों से वसूला जाना चाहिए।इसे भूमि राजस्व के बकाए के रूप में वसूला जाना चाहिए। इन आदेशों को लागू करने में सरकारी कर्मियों के कार्य में बाधा डालने वाले आरोपितों से 25,000/- रुपए की राशि के जमानती वारंट और प्रत्येक के लिए समान राशि के एक-एक जमानतदार को नोटिस जारी किए जाएं, जिसमें यह स्पष्ट करने के लिए कहा जाए कि उन्हें अदालत द्वारा पारित आदेशों के कार्यान्वयन में बाधा डालने के लिए क्यों दंडित नहीं किया जाना चाहिए। जहां तक राजस्व गांव का सवाल है, सेब के पेड़ों को काटने/हटाने का काम तुरंत किया जाएगा और सुनवाई की अगली तारीख को प्रगति रिपोर्ट दाखिल की जाए। मामला 14.07.2025 को सूचीबद्ध किया गया है।

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