
हाईकोर्ट ने एक बार फिर से सरकारी भूमि पर सभी अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एक्शन को फिर से शुरू करने के लिए राजस्व और वन विभाग सहित सभी संबंधित विभागों को दिए निर्देश शिमला, हिमाचल प्रदेश (प्रकाश चन्द शर्मा)हिमाचल में जिन लोगों ने पांच या दस बीघा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है, उसे नियमित करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अतिक्रमण वाले मामले की सुनवाई के दौरान ये बात कही. इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आदेश जारी किए कि अतिक्रमण वाली भूमि से कब्जे खाली करवाए जाएं।अदालत ने सरकार को फिर से बेदखली की कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह वन भूमि सहित सरकारी भूमि पर सभी अतिक्रमणकारियों के खिलाफ एक्शन को फिर से शुरू करने के लिए राजस्व और वन विभाग सहित सभी संबंधित विभागों को निर्देश दें।ये मामला हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ के समझ लगा था. खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को 15 जुलाई तक ऐसे सभी अतिक्रमणकारियों को सरकारी अथवा वन भूमि से बेदखल करने का निर्देश दिया है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के अन्य समान मामलों में पारित आदेशों के मद्देनजर 5 बीघा अतिक्रमित सरकारी भूमि को बनाए रखने का संरक्षण अपना प्रभाव खो चुका है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को 21 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया।नियमित करने की कोई नीति प्रस्तावित नहींअदालत ने राज्य सरकार ने कहा कि पांच या दस बीघा सरकारी जमीन, जिस पर अतिक्रमण हुआ हो, उस पर कब्जा बनाए रखने या कब्जे को नियमित करने के लिए कोई भी नीति अस्तित्व में नहीं है। साथ ही कहा कि ऐसी कोई नीति प्रस्तावित भी नहीं है. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि जब सरकार की कोई ऐसी नीति न तो अस्तित्व में है और न ही प्रस्तावित है, तो कोई भी व्यक्ति सरकारी भूमि को अपने पास रखने का हकदार नहीं है।खंडपीठ ने पुन: कहा कि राज्य सरकार ने अदालत को ये स्पष्ट रूप से सूचित किया है कि वर्तमान में वर्ष 2017 में अधिसूचित प्रारूप योजना के आधार पर किसी भी सरकारी भूमि के लिए नियमितीकरण नीति बनाने का इरादा नहीं रखती है. साथ ही 5 बीघा तक की अतिक्रमित की गई सरकारी भूमि के नियमितीकरण के लिए कोई नीति बनाने का कोई प्रस्ताव लंबित भी नहीं है।अत: याचिकाकर्ताओं का गैर-मौजूद योजना के आधार पर 5 बीघा अतिक्रमण वाली भूमि को अपने पास रखने का दावा गलत, अवैध एवं किसी भी प्रवर्तनीय अधिकार से रहित होने से टिकने योग्य नहीं है।अदालत ने ये भी स्पष्ट किया कि सभी अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें सरकारी भूमि से बेदखल किया जाए. इसके लिए राज्य सरकार को अतिक्रमण करने वालों को दी गई अंतरिम राहत को हटाने अथवा बेदखली का नया आदेश लेने के लिए अदालत आने की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने कहा कि इस प्रकार दी गई सशर्त राहत सरकार की ओर से दिए गए बयान के बाद स्वत: ही खत्म हो जाती है।